🕯️ ‘अंधेरे में’ कविता प्रश्न-उत्तर एवं व्याख्या (मुक्तिबोध कृत)



1. “...‘अंधेरे में’ कविता की अंतिम पंक्तियाँ अस्मिता या आइडेंटिटी की खोज की ओर संकेत करती हैं।” यह कथन किस आलोचक का है?

(1) रामविलास शर्मा

(2) डॉ. नगेन्द्र  

(3) नामवर सिंह  

(4) रामस्वरूप चतुर्वेदी


उत्तर एवं व्याख्या: (3) 


यह कथन नामवर सिंह का है।यह उन्होंने आधुनिक मनुष्य की अस्मिता-समस्या को रेखांकित करते हुए कहा है।


2. ‘अंधेरे में’ कविता में प्रतीक के रूप में नहीं है –

(1) शिशु  

(2) तालाब  

(3) अरुण कमल  

(4) रक्तालोक स्नात पुरुष


उत्तर एवं व्याख्या: (2)


‘तालाब’ प्रतीक रूप में नहीं आया है।

कविता में अरुण कमल, बरगद, रक्तालोक आदि प्रमुख प्रतीक हैं।



3. ‘अंधेरे में’ कविता में डोमा जी उस्ताद हैं –

(1) पत्रकार  

(2) साहित्यकार  

(3) क्रांतिकारी  

(4) कुख्यात हत्यारा


उत्तर एवं व्याख्या: (4) 


डोमा जी शहर के कुख्यात हत्यारे हैं।



4. ‘अँधेरे में’ कविता के विचित्र जुलूस (प्रोसेशन) में कौन शामिल नहीं था?

(1) विद्यार्थी  

(2) उद्योगपति  

(3) आलोचक  

(4) कवि  

(5) मंत्री  

(6) शहर का हत्यारा


उत्तर एवं व्याख्या: (1)


विद्यार्थी शामिल नहीं थे।

इस जुलूस में समाज के विभिन्न वर्गों का व्यंग्यात्मक चित्रण हुआ है।


5. “मेरे पास चुपचाप सोया हुआ यह था। संभालना इसको, सुरक्षित रखना।” — यह कथन किसका है?

(1) तिलक जी 

(2) गांधी जी 

(3) डोमा जी  

(4) मनु

उत्तर एवं व्याख्या: (2) 


यह कथन गांधी जी का है।

यह पंक्ति उनके आदर्श और विरासत को सुरक्षित रखने का संकेत देती है।


6. “यह कविता देश के आधुनिक जन-इतिहास का, स्वतंत्रता पूर्व और पश्चात् का एक दहकता इस्पाती दस्तावेज है।” यह कथन किसका है?

(1) विश्वनाथ त्रिपाठी 

(2) नामवर सिंह  

(3) रामविलास शर्मा  

(4) शमशेर सिंह

उत्तर एवं व्याख्या: (4) 

यह कथन शमशेर सिंह का है।


उन्होंने इस कविता को 'देश के आधुनिक जन-इतिहास का एक दहकता इस्पाती दस्तावेज़' कहा है, जो स्वतंत्रता-पूर्व और पश्चात के सामाजिक संघर्षों को उजागर करता है।



7. ‘अंधेरे में’ कविता के संबंध में असत्य कथन है –

(1) इसका प्रारंभिक नाम ‘आशंका के द्वीप: अंधेरे में’ था।

(2) यह ‘कल्पना’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।

(3) यह फैंटेसी शिल्प पर आधारित है।

(4) यह सात खंडों में विभाजित है।

उत्तर एवं व्याख्या: (4)

 

यह आठ खंडों में विभाजित लंबी कविता है।

सात नहीं, आठ खंडों में इसकी रचना हुई है।


8. “पूछती है — वह कौन!” यह प्रश्न कविता में कौन पूछता है?

(1) घर का सूनापन 

(2) हृदय की धक्–धक्  

(3) अज्ञात आशंका 

(4) अनजान कृति


उत्तर एवं व्याख्या: (2)


यह प्रश्न हृदय की धक्–धक् पूछती है।

यह कवि के भीतर के आत्म-संघर्ष और बेचैनी का प्रतीक है।


9. “ओ मेरे आदर्शवादी मन,

ओ मेरे सिद्धांतवादी मन,

अब तक क्या किया? जीवन क्या जिया!!”

इन पंक्तियों में काव्य–नायक का भाव है –

(1) करुणा का

(2) संशय का  

(3) आत्म–भर्त्सना का  (4) भय का

उत्तर एवं व्याख्या: (3)

इसमें आत्म–भर्त्सना का भाव है।

कवि स्वयं से प्रश्न कर अपने निष्क्रिय आदर्शवाद की निंदा करता है।


10. “भव्य ललाट की नासिका में से

बह रहा खून न जाने कब से।”

इन पंक्तियों में मुक्तिबोध किसके बारे में कहते हैं?

(1) टैगोर  

(2) तिलक  

(3) गांधी  

(4) विवेकानन्द

उत्तर एवं व्याख्या: (2) 

यह पंक्तियाँ तिलक जी से संबंधित हैं।

कवि ने उन्हें संघर्ष और बलिदान के प्रतीक के रूप में देखा है।



https://www.anubbutisevimarshtak.com/2025/10/ram-ki-shakti-pooja-prashnottar-vyakhya.html 

‘राम की शक्ति पूजा’ – प्रश्न-उत्तर एवं व्याख्या।




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